گلهای رنگارنگ ۲۶۵
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روشنک (گوینده) |
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در خم زلف تو از اهل جنون شد دل من |
و اندر آن سلسله عمری است كه خون شد دل من |
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در ازل با سر زلف تو چه پیوندی داشت |
كه پریشان شد و از خویش برون شد دل من |
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این همه فتنه مگر زیر سر زلف تو بود |
كه گرفتار بدین سحر و فسون شد دل من |
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پیش اهل حرم و دیر زبون شد دل من |
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علی اکبر شیدا(غزل) |
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مرضیه (ترانه) |
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باشد از لعل تو یك بوسه تمن تمنای دلم |
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خدا وایُ دلم عزیز وای و دلم |
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می كشم خجلت از این خواهش بی جای دلم |
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خدا وایُ دلم عزیز وای و دلم |
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عاشق روی توام بستۀ موی توام کشتۀ خوی توام |
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جانم آه ساكن خدا كوی توام |
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من ندانستم از اول كه تو بی مهر و وفایی |
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عزیز من كه تو بی مهر و وفایی |
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عهد نابستن از آن به كه ببندی و نپایی |
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عزیز من كه ببندی و نپایی |
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دوستان منعُ كنندم كه چرا دل به تو دادم |
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باید اول به تو گفتن كه چنین خوب و چرایی |
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عزیز من كه چنین خوبُ چرایی |
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ای بت چین ای صنم |
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حور وش و ماه ُ جبین ای صنم |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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هر كه تو را دید و ز خود دل برید |
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رفت ز خود هر كه رُخت را بدید |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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زلف ُ به رخساره چو افشان كنی |
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حالت جمعی تو پریشان كنی |
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وایُ به حال دل "شیدا" ی من |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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علی اکبر شیدا |
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روشنک (گوینده) |
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سوخت سودای تو سرمایه عمرم ای دوست |
می نپرسی كه در این واقعه چون شد دل من |
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به تولای تو ای كعبۀ ارباب صفا |
پیش اهل حرم و دیر زبون شد دل من |
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علی اکبر شیدا |
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قوامی (آواز) |
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طُرّه یار پریشان چه خوش است |
قامت دوست خرامان چه خوش است |
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از می عشق دلی مست و خراب |
همچو چشم خوش جانان چه خوش است |
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آن دل شیفتۀ ما بنگر |
در خم زلف پریشان چه خوش است |
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یوسف گم شدۀ ما را بین |
كاندر آن چاه زنخدان چه خوش است |
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لذت عشق بتم از من پرس |
تو از آن بی خبری كان چه خوش است |
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تو چه دانی كه شكر خندۀ او |
از دهان شكرستان چه خوش است |
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یار ساقی و "عراقی" باقی |
وه كه این عشق بدین سان چه خوش است |
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فخرالدین عراقی (غزل) |
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مرضیه (ترانه) |
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باشد از لعل تو یك بوسه تمن تمنای دلم |
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خدا وایُ دلم عزیز وای و دلم |
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می كشم خجلت از این خواهش بی جای دلم |
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خدا وایُ دلم عزیز وای و دلم |
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عاشق روی توام بستۀ موی توام کشتۀ خوی توام |
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جانم آه ساكن خدا كوی توام |
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من ندانستم از اول كه تو بی مهر و وفایی |
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عزیز من كه تو بی مهر و وفایی |
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عهد نابستن از آن به كه ببندی و نپایی |
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عزیز من كه ببندی و نپایی |
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دوستان منعُ كنندم كه چرا دل به تو دادم |
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باید اول به تو گفتن كه چنین خوب و چرایی |
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عزیز من كه چنین خوبُ چرایی |
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ای بت چین ای صنم |
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حور وش و ماه ُ جبین ای صنم |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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هر كه تو را دید و ز خود دل برید |
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رفت ز خود هر كه رُخت را بدید |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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زلف ُ به رخساره چو افشان كنی |
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حالت جمعی تو پریشان كنی |
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وایُ به حال دل "شیدا" ی من |
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من از تو دوری نتوانم دگر |
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كز تو صبوری نتوانم دگر، عزیز دلم |
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علی اکبر شیدا |
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روشنک (گوینده) |
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اين هم چند گلی بود رنگارنگ از گلزار بی همتای ادب ايران. هميشه شاد و هميشه خوش باشيد. |
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