گلهای رنگارنگ ۱۰۰
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ایراندخت پرتوی (دکلمه) |
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جانا ز تو بیزار شوم ؟ نی نی نی |
جز با تو كسی یار شوم ؟ نی نی نی |
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در باغ وصالت چو همه گل بینم |
سرگشته هر خار شوم ؟ نی نی نی |
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مولوی (رباعی) |
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مرضیه (آواز) |
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مرو بیرون ز عشرت خانۀ دل |
كه مِی، می جوشد از پیمانه دل |
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شراب و شاهد و ساقی و مطرب |
برون آرد ز خود میخانۀ دل |
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به منزل می رساند سالکان را |
تپیدن های بی تابانۀ دل |
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قیامت می شود هرجا كه صائب |
ز مستی سر كند افسانۀ دل |
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ایراندخت پرتوی (دکلمه) |
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پر پروانه گردد پردۀ خواب |
به هرجا بُگذّرد افسانۀ دل |
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صائب تبریزی (غزل) |
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مرضیه (ترانه) |
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صورتگر نقاش چین |
رو صورت یارم ببین |
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یا صورتی بركَش چنین |
یا تَركُ كن صورتگری |
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آفاقُ را گردیده ام |
مِهر بتان سنجیده ام |
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بسیار و خوبان دیده ام |
اما تو چیزِ دیگری |
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ز دست محبوب آه، چه ها كشیدم |
به جز جفایش عزیزم، وفا ندیدم |
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نه هم زبانی آه كه یك زمانی |
به من بگوید جانِ من، غم كه داری |
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نه هم زبانی كه یك زمانی |
به من بگوید جانِ من، غم كه داری |
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نوبت هجران گذشت |
شد گه عیش و صفا |
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شیدا(ترانه) |
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ایراندخت پرتوی (دکلمه) |
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ما عاشقیم و خوش تر از این كار، كار نیست |
یعنی به كارهای دگر اعتبار نیست |
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دانی بهشت چیست كه داریم انتظار |
جز ماهتاب و باده و آغوش یار نیست |
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فصل بهار فصل جنون است و این سه ماه |
هر كس كه مست نیست، یقین هوشیار نیست |
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خندید صبح بر من و بر انتظار من |
زین بیشتر ز خوی توام انتظار نیست |
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دیشب لبش چو غنچه تبسم به من نمود |
اما چه سود زآنكه به یك گل بهار نیست |
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فرهاد یاد باد كه چون داستانِ او |
شیرین حكایتی ز كسی یادگار نیست |
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ناصح مكن حدیث، كه صبر اختیار كن |
ما را به عشق یار ز خویش اختیار نیست |
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بر ما گذشت نیك و بد اما تو، روزگار |
فكری به حالِ خویش كن این روزگار نیست |
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بگذر ز صید و این دو سه مه با عماد باش |
صیّادِ من بهار كه فصل شكار نیست |
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شعله بر جان زده ای خنده بر احوال دلم |
شمع جمعی و ز پروانه کنی چهره نهان |
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عماد خراسانی (غزل) |
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روشنک (گوینده) |
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اين هم چند گلی بود رنگارنگ از گلزار بی همتای ادب ايران. هميشه شاد و هميشه خوش باشيد. |
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